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- मुख्यमंत्री को जिला प्रशासन के माध्यम से प्रेषित किये ज्ञापन
वाचस्पति रयाल@ नरेंद्रनगर। ग्राम पंचायत डौंर का कांडा क्षेत्र व ग्राम पंचायत बडेडा को नगर पालिका परिषद नरेंद्रनगर में शामिल किए जाने के उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट के फैसले का उक्त दोनों ग्राम पंचायतों ने विरोध करते हुए मंगलवार को उक्त संबंध में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार नरेंद्रनगर अयोध्या प्रसाद उनियाल को सौंपा।
उक्त दोनों ग्राम पंचायत डौंर व बडेडा के जनप्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायत अथवा ग्राम पंचायत का हिस्सा प्रदेश की कैबिनेट के फैसले के मुताबिक नगर पालिका नरेंद्रनगर में शामिल किए जाने की सूचना उन्हें समाचार पत्रों के माध्यम से प्राप्त हुई है। जबकि गांव या गांव क्षेत्र के हिस्से को पालिका में शामिल करने की कार्रवाई से पूर्व संबंधित ग्राम पंचायतों को अवगत कराना चाहिए था।
डौंर ग्राम पंचायत के वन सरपंच एवं सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह कैन्तुरा,प्रधान वीना कैन्तुरा,उप प्रधान सुरेश कैन्तुरा तथा बडेडा ग्राम पंचायत के प्रधान राजेंद्र सिंह नेगी,उप प्रधान अजय सिंह सहित दोनों ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों का कहना था कि उनकी ग्राम पंचायतों या उनके गांव के हिस्से को नगर पालिका नरेंद्रनगर में शामिल किए जाने के औचित्य पूर्ण जरूरतों के संबंध में ग्राम पंचायतों को अवगत कराया जाना चाहिए था।
दोनों ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों ने यह बात मंगलवार को उस वक्त मीडिया के सामने रखी जब वे प्रदेश सरकार की कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले के विरोध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रेषित करने बड़ी तादाद में नरेंद्रनगर तहसील प्रांगण में पहुंचे।
डौंर व बडेडा के ग्रामीणों ने विक्रम सिंह कैन्तुरा तथा राजेंद्र सिंह नेगी की अगुवाई में तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल को ज्ञापन सौंपे।
तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल ने कहा कि दोनों ज्ञापन उप जिलाधिकारी कार्यालय से तुरंत जिला अधिकारी टिहरी को अग्रिम कार्रवाई हेतु प्रेषित कर दिए जाएंगे।
डौंर वासियों का कहना है कि डौंर ग्राम पंचायत का कांडा क्षेत्र को ही पालिका में शामिल करने का औचित्य कतई भी न्याय पूर्ण नहीं है।
कहा कि कांडा की 70% कृषि भूमि पर काश्तकारी की जाती है।
विक्रम कैन्तुरा व ग्रामीणों का कहना है कि कांडा में डौंर ग्राम पंचायत के 5% वोटर हैं।कांडा में ग्राम पंचायत की ओर से नालियों, शौचालयों, सड़क, पेयजल, विद्युत, रास्ते, यात्री शेड व चैन फेंसिंग सुरक्षा ग्राम पंचायत के जरिए पहले ही मुहैया कराई जा चुकी है।
ऐसे में डौंर वासियों का कहना है कि यदि विकास के लिए पालिका में शामिल होना है तो पूरी ग्राम पंचायत को शामिल किया जाए। ताकि वर्ष 2011 को डौंर गांव में आई आपदा के ज़ख्मों को भरा जा सके।
वहीं बडेडा ग्राम पंचायत की खुली बैठक में बडेडा गांव को पालिका में शामिल करने का विरोध किया गया है। खुली बैठक में प्रस्ताव पारित कर ग्रामीणों का कहना है कि बडेडा क्षेत्र में ना ही कोई होटल और ना रिजॉर्ट है। वहां की शत प्रतिशत भूमि कृषि काश्तकारी की है।
ग्रामीणों का कहना है कि खेती बाड़ी की भूमि को पालिका में शामिल करने का औचित्य समझ से परे है। ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत के गांव क्षेत्र को पालिका में शामिल करने का विरोध जताते हुए कहा कि ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर यदि सरकार अमल नहीं करेगी तो वे आंदोलन को मध्य होंगे।
दोनों ज्ञापनों पर डेढ़ सौ से अधिक ग्रामीणों ने हस्ताक्षर किए हैं।
ज्ञापन देने वालों में बडेडा के प्रधान राजेंद्र सिंह नेगी,डौंर ग्राम वन पंचायत के सरपंच विक्रम सिंह कैन्तुरा,उप प्रधान सुरेश सिंह कैन्तुरा, सुरेंद्र सिंह भंडारी, वीरेंद्र सिंह कैन्तुरा, उप प्रधान अजय सिंह, चंदन सिंह, पूर्ण सिंह, ब्रह्मपाल सिंह, रविंद्र सिंह, मनोरमा देवी, बिंद्रा देवी, डिंपी देवी व नूतन आदि थे।