कुंजापुरी मेले में उप्रेती बहनों ने बिखेरी पहाड़ की सांस्कृतिक छटा

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  • अपनी भाव भंगिमा के जरिए   शब्दों को साकार करने में महारत हासिल है ज्योति व नीरजा  को
  • जय हो-ए दुर्गा माता, कुंजापुरी माता, भक्तों कू दुख हरण वाल़ी छैं माता की प्रस्तुति से पांडाल हुआ भक्तिमय


वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।
सुप्रसिद्ध सिद्ध पीठ श्री कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले की छठवीं सांस्कृतिक संध्या ज्योति उप्रेती व नीरजा उप्रेती बहनों के नाम रही।

बताते चलें कि अपने यौवन के शबाब पर पहुंच चुका श्री कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले की छठवीं सांस्कृतिक संध्या में उमड़ी दर्शकों की भारी भीड़ ने कुमाऊं-गढ़वाल की प्रसिद्ध लोक गायिकाओं में शुमार उत्तराखंड की मशहूर गायिका उप्रेती बहनों ज्योती व नीरजा की गायन प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद उठाया।

मां दुर्गा के 9 रूपों के आह्वान गीत जय हो-ए दुर्गा माता, कुंजापुरी माता, भक्तों कू दुख हरण वाल़ी छैं माता की प्रस्तुति के साथ पंडाल का वातावरण भक्तिमय हो उठा,तो वाद्य यंत्रों की सुर-लहरियों के बीच उप्रेती बहनों की मधुर आवाज पर दर्शक पंडाल में झूमते/थिरकते नजर आए।

मधुर कंठ की सुर कोकिला उप्रेती बहनों ने *म्यारा पहाड़ों मां, देवतौं को बास-जय बद्रीनाथ व सबके संकट हरने वाली माता तेरी जय आदि देव आराधना से ओत-प्रोत देव आराधना गीत गाकर दर्शकों को खूब अभिभूत कर दिया।

कुमाऊनी व गढ़वाली लोक गायन के क्षेत्र में प्रदेश भर में ख्याति प्राप्त कर चुकी ज्योति व नीरजा उप्रेती बहनों द्वारा स्याली़-भेना,कसकै जानू द्वारहाट, ढ़म-ढ़म बाजे ढोल,हिलमां चांदी को बटण,रंगीली विंदी गगर वली व मातृभूमि मेरी पितृ भूमि मेरी आदि कई गीतों को गाकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

कुल मिलाकर उप्रेती बहनों द्वारा देवी देवताओं की स्तुति, गढ़वाल की संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाज, खान-पान व वेश-भूषा पर आधारित गीतों के दर्शकों ने जमकर प्रशंसा करते सुने गए।

दरअसल कार्यक्रम प्रस्तुतियों के दौरान भाव भंगिमा से शब्दों को साकार करने की उप्रेती बहनों की खास कला कार्यक्रम को खूबसूरती प्रदान करता है।अपने मधुर कंठ व शब्दों को साकार करने की भाव- भंगिमा जैसी अद्भुत कला से प्रदेश ही नहीं, बल्कि प्रदेश से बाहर भी उप्रेती बहनें अपनी खास पहचान बनाने में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के दौरान बाध्य यंत्रों के पारखी मोरछंग पर राम चरण, ढोलक पर अमित डंगवाल, हारमोनियम पर अनूप नेगी, बांसुरी पर भगत चरण चौधरी ,ऑक्टोपैड पर गोविंद व स्वर लहरियों में साथ देने वाली शिवानी व मनीषा की भूमिका सराहनीय रही।

इस मौके पर मेले के मुख्य संरक्षक व प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल, समिति के अध्यक्ष राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार, वन मंत्री के प्रतिनिधि विनोद गंगोटी, सूर्य प्रकाश जोशी, संतोष सिंह राणा,महेश गुसाईं, रमेश असवाल, प्रकाश ड्यूंडी, मनोज गंगोटी, नरपाल सिंह भंडारी आदि सहित बड़ी संख्या में दर्शक दीर्घा दर्शकों से खचाखच भरी थी।

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