द डॉटर ऑफ द हिमालयाज़ फिल्म का देहरादून में अनावरण

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एक पर्वतारोही की आध्यात्मिक यात्राः दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को जीतने के लिए हिमालयी तपस्या

देहरादून,: उत्तराखंड श्रृंखला की सात फिल्मों में से पहली , गंगा- डॉटर ऑफ हिमालयाज़. को देहरादून में मीडिया के लिए खासतौर पर प्रदर्शित किया गया. स्क्रीनिंग के दौरान भारत का आध्यात्मिक ह्रदय जैसे जीवंत हो उठा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्मकार भारतबाला की यह एक मनमोहक प्रस्तुति है, जो एक उभरती हुई पर्वतारोही देवयानी सेमवाल की असाधारण यात्रा को उजागर करती है. यह फिल्म एक ऐसे सिनेमाई अनुभव का वादा पूरा करती है, जो कहानी कहने की सीमाओं को भी लांघ जाता है. फिल्म की प्रीमियर स्क्रीनिंग 3 नवंबर 2023 को https://youtube.com/@virtualbharat पर होने जा रही है. मीडिया के लिए आयोजित विशेष स्क्रीनिंग में फिल्म निर्देशक भारतबाला और देवयानी सेमवाल मौजूद थे. भारतबाला ने इस फिल्म के महत्व और अपने नजरिए से पत्रकारों को अवगत कराया.

इस फिल्म की प्रस्तुति के साथ वर्चुअल भारत ने रूरल इंडिया सपोर्टिंग ट्रस्ट (आरआईएसटी) के साथ मिलकर उत्तराखंड पर आधारित सात फिल्मों की एक मनोरम श्रृंखला का अनावरण किया. यह यात्रा वूमन ऑफ मुनसियारी के साथ आगे बढ़ती है, जिसका अनावरण 17 नवंबर 2023 को होगा।

भारतबाला वर्चुअल भारत के दूरदर्शी संस्थापक के रूप में 1000 फिल्मों की श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं. इसके ज़रिए वे भारत की 5,000 साल पुरानी सभ्यता और इसकी कला, संस्कृति, वास्तुकला, संगीत, लोककथा और परंपरा की अनकही कहानियों को सिनेमाई कैनवास पर जादुई ढंग से प्रदर्शित कर रहे हैं.

यह फिल्म देवयानी और देवी गंगा नदी के बीच गहरे संबंधों की पड़ताल करती है. दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने के लिए दृढ़ संकल्पित देवयानी, जो गंगोत्री की तलहटी में बसे एक शांत हिमालयी गांव मुखबा में पली-बढ़ी है, ऐसे पर्वत शिखरों की कल्पना करती है, जो उसकी विशाल महत्वाकांक्षाओं से मेल खाते हों. माउंट किलिमंजारो से अब उसकी नज़र माउंट एवरेस्ट और प्रसिद्ध सात शिखरों पर केंद्रित हो जाती है।
भारतबाला के निर्देशन और देवयानी सेमवाल के आकर्षक प्रदर्शन से बनी इस फिल्म की फोटोग्राफी के निर्देशक सुदीप एलामोन है, जिनकी असाधारण दृश्य प्रतिभा इस फिल्म में उभरकर सामने आती है. लेखिका और शोधकर्ता सोइती बनर्जी ने कथ्य की पेचीदगियों को बड़ी बारीकी से बुना है. एडीटर शाश्वता दत्ता ने कहानी के निर्बाध प्रवाह को अपनी प्रतिभा और अनुभव से मांझा है.

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