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- एमबीबीबीएस छात्र-छात्राओं को रोगियों के उपचार में प्रैक्टिकल बेस्ड प्रिसिक्रिप्शन (चिकित्सा उपचार) को दी जानकारी
- 159 मेडिकल के छात्र-छात्राओं ने किया प्रतिभाग
- छात्र-छात्राओं के लिए ‘तर्कसंगत निर्धारणः सिद्धांत से अभ्यास तक’ विषय पर हुई कार्यशाला
- 10 सबसे ज्यादा व्यावहारिक प्रस्तुतियों का हुआ मूल्यांकन,सुमित मिश्रा रहे प्रथम स्थान पर
- रोगी के सही उपचार में साक्ष्य आधारित नुस्खे की महत्वपूर्ण भूमिका: डॉ. एके देवराड़ी
क्रान्ति मीडिया@ देहरादून।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) जौलीग्रांट में एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के लिए तर्कसंगत निर्धारणः सिद्धांत से अभ्यास तक विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें सुमित मिश्रा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज के फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के 159 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इसमें 10 सबसे ज्यादा व्यावहारिक प्रस्तुतियों का मूल्यांकन ज्ञान, संचार और आलोचनात्मक सोच कौशल के आधार पर किया। इसमें सुमित मिश्रा प्रथम, यशस्विनी सिन्हा दूसरे और अंशिका टंडन ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
मुख्य अतिथि एचआईएमएस के प्रिंसिपल डॉ. एके देवराड़ी ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि रोगी के सही उपचार में साक्ष्य आधारित नुस्खे की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों में इस महत्वपूर्ण कौशल को विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
इससे पूर्व विजेता प्रतिभागियों को डॉ. एके देवराड़ी व डॉ. रेनू धस्माना ने संयुक्त रूप से सर्टिफिकेट प्रदान किये। फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. तरूणा शार्मा ने बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य मेडिकल के छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान के साथ उसे व्यवहारिकता में लाने पर केन्द्रित था। इसके अंतर्गत अस्पताल मे जाकर रोगी से बात कर बीमारी के लक्ष्णों की पहचान करना और जांच के आधार पर उसके लिए उपयुक्त दवा लिखना शामिल था। इसके आधार पर जजों ने उनका मूल्यांकन किया। पैनलिस्ट जजों में मेडिसिन से डॉ.रेशमा कौशिक, पल्मोनरी मेडिसिन से डॉ. राखी खंडूरी, मनोचिकित्सा से डॉ. प्रियरंजन अविनाश, माइक्रोबॉयोलॉजी से डॉ. बरनाली ककाती व पैथोलॉजी से डॉ. स्मिता चंद्रा शामिल रहे।