458 total views
- तहसील सभागार में आयोजित कार्यशाला में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव आलोक राम त्रिपाठी ने महिला यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम की दी खास जानकारी
वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।
कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाएं आए दिन खबरों की सुर्खियां बनती जा रही हैं।
महिला यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध व निवारण के मकसद से यहां स्थित तहसील सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टिहरी के सचिव आलोक राम त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक खास कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस मौके पर जिला प्राधिकरण के सचिव आलोक राम त्रिपाठी ने कार्य स्थल पर मौजूद महिलाओं का यौन उत्पीड़न विषय पर, अधिनियम 2013 के तमाम अनुच्छेदों का जिक्र करते हुए, कहा कि आज के दौर में हर किसी कार्यालय में महिला और पुरुष एक ही कार्यालय में काम करते आ रहे हैं। मगर चिंता का विषय यह है कि भावनाओं में बहकर या तो महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाती हैं, या फिर जबरन उनका यौन उत्पीड़न किया जाता है। इस तरह के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए, महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम- 2013 को प्रयोग में लाया गया है।
प्राधिकरण के सचिव माननीय त्रिपाठी जी का मानना था कि इस नियम को सही तौर पर धरातल पर उतारकर महिला यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं पर अवश्य रोक लग पायेगी। विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रत्येक कार्यालय में महिला उत्पीड़न संबंधी इंटरनल कमेटी का गठन के महत्व को बारीकी से समझना होगा।
बताया कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिला किस तरह से अपनी शिकायत समिति के समझ रखें और समिति शिकायत का किस तरह से निवारण करे, इन तमाम बातों से कार्यशाला में उपस्थित महिला/पुरुषों को भली भांति अवगत कराया गया।
वर्ष 2013 महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम को लागू किए जाने व इस अधिनियम की बारीकियों को गहराई से समझने की बात माननीय प्राधिकरण के सचिव ने कही।
माननीय सचिव प्राधिकरण ने विश्वास भरे लहजे में कहा कि यदि इस अधिनियम को हर कोई अपने मनो मस्तिष्क में समझते हुए कार्यालयों में तल्लीनता से अपनी कार्य को संपादित करेगा, तो निश्चित ही महिला यौन उत्पीड़न संबंधी मामलों का पटाक्षेप संभव हो सकता है।यदि इस संबंध में कोई शिकायत आती है तो कार्यालय में गठित समिति को उसका समाधान करना है।
इस मौके पर उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर देवेंद्र सिंह नेगी ने भी अपने विचार साझा किये।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों तथा तहसील के कर्मियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यशाला में एडवोकेट राजपाल सिंह मियां, डॉक्टर मीनाक्षी किथौरिया, डॉ वंदना डंगवाल, एस आई कविता बड़थ्वाल, कमला जुगलान, इंदु रानी, डीपीआरओ मुस्तफा खान, पीएलवी उषा कैन्तुरा, सरिता कोठियाल आदि थे।