रेलवे टनल निर्माण के चलते खतरे की जद में आया अटाली गांव

 580 total views

जमीन-मकान के बदले ग्रामीणों ने की 10 गुना मुआवजा की मांग

मांगे हल न होने पर ग्रामीणों ने काम रोकने के साथ आंदोलन की दी चेतावनी

वाचस्पति रयाल @नरेंद्रनगर।:- ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन सुरंग निर्माण के चलते नरेन्द्रनगर विधानसभा अंतर्गत पट्टी दोगी क्षेत्र का अटाली गांव खतरे की जद में आ जाने से ग्रामीण दहशत में हैं।
फसलों की सिंचाई करने खेतों में गये काश्तकारों के दिल को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उन्होंने अनेकों खेतों में दरारें पडी़ देखी।
यह सब देख वे हैरान व भौंचक्के रह गये, धंसते जा रहे खेतों व मकानों पर बढ़ती जा रही दरारों को देख ग्रामीण दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों द्वारा घटना की सूचना देने पर अटाली गांव पहुंचे तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल, रेलवे विकास निगम के उप महाप्रबंधक भूपेंद्र सिंह, सीनियर साइट इंजीनियर पीयूष पंत, जियोलॉजी एंड माइनिंग के उपनिदेशक डॉ अमित गौरव, कानूनगो इंद्रमोहन रूपेण,लेखपाल ओंकार सिंह आदि अधिकारियों ने खेत और मकानों का मौका मुआयना कर ग्रामीणों के साथ बैठक की।
बैठक में पीड़ित ग्रामीणों सहित क्षेत्र के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता व यूकेडी के केंद्रीय सचिव सरदार सिंह पुंडीर, नरेंद्रनगर विधानसभा यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विकास चंद्र रयाल, महिला नेत्री श्रीमती किरन चौहान,गजेंद्र सिंह राणा व जितेंद्र सिंह चौहान ने उत्पन्न भयावह स्थिति को गांव के अस्तित्व के लिए खतरा बताया।


कुल मिलाकर आक्रोशित ग्रामीणों ने अटाली गांव पर मंडरा रहे संकटों के बादल के लिए रेलवे विभाग को जिम्मेदार ठहराया।
ग्रामीणों का साफ शब्दों में कहना था कि वे रेलवे लाइन प्रोजेक्ट का विरोध नहीं कर रहे हैं।
मगर जब गांव में रहने लायक हालात नहीं हैं, और गांव की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है तो ऐसी स्थिति में समूचे गांव अटाली को व्यासी बाजार के पास बंजर पड़ी भूमि पर विस्थापित किया जाए,ताकि वे पूर्वजों से लेकर मौजूदा समय तक अपने गांव क्षेत्र की संस्कृति- सभ्यता- खान-पान- रीति रिवाज का निर्वहन करते हुए अपने परिवार का गुजर-बसर अपने पैतृक क्षेत्र में कर सकें। साथ ही ग्रामीणों की यह भी मांग है कि प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को रेलवे निगम में नौकरी दी जाए, सरकार विस्थापन का जिम्मा नहीं लेती तो, भूमि और मकान के बदले 10- 10 गुना मुआवजा ग्रामीणों को दिया जाए।
ग्रामीणों की अकाट्य दलील थी कि पीढ़ी दर पीढ़ी गांव में रह रहे गांव की लोगों की अपनी गांव की माटी, वहां की संस्कृति, सभ्यता व नाते-रिश्तेदारों से भावनात्मक लगाव की उन्हें कोई कीमत नहीं चुका सकता।
फिर भी विकट परिस्थितियों में सरकार उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर समस्याओं का जल्द हल निकाले।
इस मौके पर बैठक में उपस्थित नरेंद्रनगर के तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल के समक्ष रेलवे विकास निगम के उप महाप्रबंधक भूपेंद्र सिंह का कहना था कि ग्रामीणों की मांगों का प्रपोजल वे तत्काल उच्च अधिकारियों को प्रेषित करेंगे ताकि ग्रामीणों की विकट समस्या का निदान हो सके, उधर मौके पर आये जियोलॉजी एंड माइनिंग विभाग के उपनिदेशक डॉ अमित गौरव ने मौका मुआयना व जांच पड़ताल के बाद कहा कि वे अपनी रिपोर्ट तुरंत उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर देंगे ।उन्होंने मामले को बेहद गंभीर बताया।
तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल ने ग्रामीण पीड़ितों को आश्वस्त किया कि वे उत्पन्न विकट स्थिति का पूरा मौका मुआयना कर चुके हैं और इसकी रिपोर्ट तत्काल उच्च अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी ताकि मामले का हल निकाला जा सके और ग्रामीणों की समस्याएं सुलझ सकें।
उधर ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी मांगें न मानी गई तो वे रेल विकास निगम का काम रुकवाने के साथ अपनी मांगों को लेकर आंदोलन को बाध्य होंगे।
बैठक में अधिकारियों के अलावा यूकेडी के केंद्रीय सचिव सरदार सिंह पुंडीर, नरेंद्रनगर विधानसभा के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विकास चंद्र रयाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र चौहान, शिव शंकर रयाल, राकेश, प्रवीन पुँडीर, विमला देवी, सरोजिनी देवी, पदमा देवी, श्रीमती धनेश्वरी चौहान, श्रीमती किरण चौहान,दीपा देवी पुंडीर गिर वीर सिंह पुंडीर, राकेश पुंडीर, किशन चौहान, विनोद चौहान, बिल्लू चौहान आदि मौजूद थे।
मायूस और आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार उनकी नहीं सुनती तो वे दूध मुँहे बच्चों व पशुओं सहित सड़कों पर आंदोलन को बाध्य होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *