असाध्य रोगों के लिए संजीवनी है,आयुर्वेद इलाज: मंत्री सुबोध

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वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।

यहां स्थित नगर पालिका के टाउन हॉल में जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग द्वारा आयोजित त्रि-दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का उद्घाटन प्रदेश के वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुबोध उनियाल, विशिष्ट अतिथि राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार , ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र सिंह भंडारी के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

जिला आयुर्वेद विभाग द्वारा आयोजित यह त्रि-दिवसीय शिविर आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग उत्तराखंड शासन के निर्देश पर आयोजित किया गया है। इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पहाड़ों में आयुर्वेद चिकित्सा विधाओं को आम जन तक पहुंचाने, लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने, असाध्याय लोगों को जड़ से समाप्त करने व सस्ते इलाज कराने सहित अनेकों स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं से लोगों को रूबरू कराने और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी रोगों से निजात दिलाने के मकसद से इस तरह के शिविरों का बड़ा महत्व है।

मुख्य अतिथि सुबोध उनियाल ने कहा कि हिमालय जड़ी बूटियों का भंडार है। यहां ऐसी जड़ी बूटियां उपलब्ध हैं,जो असाध्याय रोगों के इलाज में रामबाण का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि शिविर के जरिए लोगों में आयुर्वेद के प्रति रुचि बढ़ेगी, वे दवाओं के उपयोग व इलाज करते हुए निश्चित ही असाध्याय रोगों से ना सिर्फ राहत महसूस करेंगे, बल्कि इलाज में ये जड़ी-बूटियां असाध्य रोगियों के लिए संजीवनी साबित होंगी।
मंत्री ने कहा आयुर्वेद व आयुष पद्धति का इलाज भारत की हजारों वर्षों की धरोहर है।

यह पद्धति हमारे आध्यात्म से भी जुड़ी मानी जाती है, उन्होंने याद दिलाया कि लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तो हिमालय की जड़ी बूटी इलाज के प्रयोग में लाई गई।इससे इन जड़ी/बूटियों के महत्व का पता चलता है। कहा कि आयुर्वेद विधि से रोग जड़ से नष्ट हो जाते हैं। आयुर्वेद की दवाइयों का वैड इफेक्ट भी नहीं होता, आज समूचे विश्व में भारतीय योग पद्धति और आयुर्वेद जहां देश का मान/सम्मान बढ़ा रहा है, वहीं विश्व के देश इस पद्धति की ओर तेजी के साथ अग्रसर हैं।

इस मौके पर कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार व ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र सिंह भंडारी ने आयुर्वेद को शरीर,मन और चेतना को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण बताया। इस मौके पर जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉक्टर सुभाष चंद्र ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों सहित सभी का आभार जताया।

उन्होंने आयुर्वेद के सिद्धांतों और अवधारणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता है। नाड़ी और नसों का मर्मज्ञ/ विशेषज्ञ डॉ० दिनेश जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आयुर्वेद भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसमें हजारों चिकित्सा अवधारणाएं और परिकल्पनाएं शामिल हैं।

उन्होंने कहा आयुर्वेद इलाज में वात, गठिया नसों व जोड़ों के दर्द, कमर, गर्दन,साइटिका, संधिवात, आम वात,वात रक्त, मधुमेह, उच्च रक्तचाप व त्वचा संबंधी असाध्य बीमारियों से छुटकारा दिलाने के लिए आयुर्वेद का इलाज सक्षम है।

इस मौके पर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ० दिनेश शर्मा, डॉ० सुशांत मिश्रा,डॉ०मणि कुमार, डॉ० मधु उपाध्याय,डॉ० मीनाक्षी किथोरिया, डॉ०भास्कर आनंद शर्मा  एवं  नरेन्द्रनगर थानाध्यक्ष गोपाल दत्त भट्ट प्रमुख थे।

स्वास्थ्य की दृष्टि से इस महत्वपूर्ण तीन दिवसीय स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था चौक-चौबंद बनाने में गंगा प्रसाद डोभाल, द्वारिका प्रसाद जोशी, कैलाश चंद्र भट्ट, रमेश चंद्र सती, पूजा बहुगुणा, ऋचा पुरसोड़ा, रविंद्र सिंह, सतीश चंद्र व दिनेश पैन्यूली का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ डॉक्टर वंदना डंगवाल ने किया।

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