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नकोट में 860 राशन कार्ड धारक विगत 3 दिनों से दुकान का चक्कर काटते हो चुके परेशान
वाचस्पति रयाल@ नरेन्द्रनगर। बायोमेट्रिक प्रणाली से राशन वितरण व्यवस्था कई क्षेत्रों में चरमराती नजर आ रही है।
ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों का गुस्सा सरकार पर फूटना स्वाभाविक है।
ग्रामीणों क्षेत्रों में चर्चा है कि यदि बायोमेट्रिक मशीनें निम्न दर्जे की ना होती तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को माह में मिलने वाली साढ़े 7 किलो राशन के लिए कई दिनों तक राशन दुकानों के चक्कर काटने को मजबूर नहीं होना पड़ता। उनका कहना है कि इससे बेहतर तो पुरानी राशन वितरण पद्धति ही ठीक थी।
प्रगति शील जन विकास संगठन के अध्यक्ष दिनेश प्रसाद उनियाल का साफ शब्दों में कहना है कि घटिया किस्म की बायोमेट्रिक मशीन के जरिए राशन वितरण प्रणाली तब तक कारगर साबित नहीं हो सकती जब तक उत्तम किस्म की मशीनों को इस्तेमाल में नहीं लाया जाता।
चंबा विकास खंड के नकोट कस्बे में स्थित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान पर 10 से अधिक गांवों के 860 राशन कार्ड धारक हैं।
सस्ते गल्ले की दुकान पर राशन उपलब्ध है।मगर ग्रामीणों को राशन वितरण नहीं हो पा रही है,इसकी वजह बायोमेट्रिक मशीन द्वारा कार्ड धारकों के फिंगरप्रिंट को ना लिया जाना बताया जा रहा है।
राशन कार्ड धारक विगत 3 दिनों से राशन के लिए सस्ते गल्ले की दुकान का चक्कर काटते थक चुके हैं। और हर बार उन्हें बगैर राशन के बैरंग लौटना पड़ रहा है।
बताते चलें कि इस राशन की दुकान पर ग्राम तुंगोली,माणदा मखलोगी,जिवाड़ा,थानबेमर,नकोट,छाती,फैगुल,कोठी मल्ली व कोठी तल्ली के साढ़े 8 सौ से अधिक राशन कार्ड धारक हैं।
राशन बितरण की पारदर्शिता हेतु सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर वर्तमान समय से राशन वितरण हेतु बायोमैट्रिक सिस्टम आरम्भ है। ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाजी उपभोक्ताओं के हाथों की उंगलियां शारिरिक कठोर कार्यों की वजह से अधिकतर स्क्रेच लगी होती हैं। जिस कारण अधिकांश उपभोक्ताओं के फिंगर बायोमैट्रिक सिस्टम कैप्चर नहीं कर पा रहा है। फलतः अधिकांश उपभोक्ताओं को बिना राशन प्राप्त किए, खाली हाथ वापस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ग्रामीण कस्बा नकोट अंतर्गत साधन सहकारी समिति नकोट तुंगोली के पास सरकारी खाद्यान्न वितरण का जिम्मा है। बायोमेट्रिक मशीन के काम न करने से राशन विक्रेता भी निरंतर 3 दिनों से राशन लेने आ रहे कार्ड धारकों की भारी भीड़ को जवाब देते-देते थक परेशान हो गया है।
उपभोक्ताओं की परेशानी का सबब बनती जा रही बायोमेट्रिक मशीन सरकार व शासन प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर रही है।
प्रश्न यह भी पैदा होता है कि क्या इस व्यवस्था को आरम्भ करने से पूर्व विभाग ने मशीन का भली-भांति परीक्षण किया ?
और यदि किया तो वर्तमान में उत्पन्न समस्या के लिए किसे जिम्मेदार समझा जाए?
राशन वितरण व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उचित मानी जा रही बायोमेट्रिक प्रणाली को उचित परिणाम युक्त बनाए जाने की आवश्यकता है,ताकि उपभोक्ताओं को आये दिनों की विकट परेशानियों का सामना करने के लिए मजबूर ना होना पड़े।
सिविल सोसायटी नकोट के अध्यक्ष विक्रम सिंह रावत ने राशन में हो रही हीरा फेरी पर रोक लगाने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली व्यवस्था को उचित ठहराते हुए सुझाव दिया है कि समुचित परीक्षणोपरान्त ही यह व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।