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देहरादून। उत्तराखंड में बढ़ती गर्मी के बीच जंगलों में लगी आग विकराल हो गई है। पहाड़ों पर पिछले तीन दिन से कई स्थानों पर जंगलों में लगी आग से वन संपदा स्वाहा हो गई है । हालांकि वन विभाग पर काबू पाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है लेकिन वनाग्नि के सामने विभागीय तैयारी नाकाफी साबित हो रहे है। वनों की आग निरंतर बढ़ती जा रही है। जिससे पहाड़ों का वातावरण भी धुआं धुआं हो गया है।
बता दें कि 24 घंटे में प्रदेश में 78 नई घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें करीब 113 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। इसी के साथ फायर सीजन में अब तक 799 घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें कुल 1133 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसमें लाखों की वन संपदा का नुकसान होने का अनुमान है। पौड़ी जिले के तहत लैंसडौन व दुगड्डा रेंजों में पिछले दस दिनों में कई जंगल आग की चपेट में आकर राख हो गए हैं। हालांकि, प्रभाग की कोटड़ी रेंज में अभी तक जंगल में आग की एक भी घटना प्रकाश में नहीं आई है।
कोटद्वार रेंज की गुलरझाला बीट में दो घटनाएं अभी तक सामने आई हैं। वहीं, लालढांग रेंज में अभी तक छह घटनाएं हुई हैं। दुगड्डा रेंज की फतेहपुर बीट में जहां अभी तक जंगल की आग की छह घटनाएं हुई हैं, मटियाली बीट में 22 घटनाएं प्रकाश में आई हैं। उधर, दो दिनों से उत्तरकाशी जनपद के जंगल जल रहे हैं। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लेकर टौंस वन प्रभाग के जंगल भी धू-धू कर जल रहे हैं। मंगलवार रात जिले में 10 से अधिक स्थानों पर जंगलों में आग लगी हुई थी।
वहीं बागेश्वर जिले में में कपकोट तहसील के ग्रामसभा नामतीचेटाबगड़ के पोथियाधार तोक तक पहुंच गई। जहां पांच मकान जलकर राख हो गए लेकिन हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई।
वन संपदा को आग से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है अन्यथा बीते वर्षों की तरह हालात भयावह न हो जाए।