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वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।गु्लदार द्वारा बछिया पर हमला करने व अपनी बछिया को गूलदार से छुडाने गाय मां की ममता पर कुछ लिखने को कलम उठी तो मुझे मुद्दतों पहले देखी माँ का आँचल नामक फिल्म का गाना मां है मोहब्बत का नाम, मां को हजारों सलाम याद हो आया।
मां की ममता क्या होती है,ये मनुष्य से ही नहीं पशु-पक्षियों के व्यवहार व भाव से बखूबी समझा जा सकता है।
सच्चाई तो ये है कि दुनिया की किसी भी कलम में इतनी ताकत व सामर्थ्य कहाँ है कि वह माँ की ममता और उसके आंचल की महिमा को शब्दों में बांधकर बयां अथवा परिभाषित कर,उसका महत्व दुनिया के सामने ऐसा उडेल सके कि समाज तृप्त हो उठे,ऐसा होना सचमुच असंभव है
जन्म देने वाली माँ तो सचमुच पवित्रता,कोमलता, मासूमियत,त्याग,ममता,प्यार,स्नेह व प्राण न्योछावर भरे व्यवहार की वो मूर्ति है,जिसका कर्ज जन्मों-जन्मों तक चुकाने की बात तो रही दूर,कल्पना तक करना भी व्यर्थ है।
दुनिया का कोई भी कलमकार माँ जैसे अजेव भारी भरकम व वजनदार श्ब्द की व्याख्या कर उसे श्ब्दों के दायरे में इसलिए नहीं बाँध सकता चूंकि माँ शब्द अथाह भावनाओं का अतुलनीय भंडार है
यहाँ माँ शब्द का जिक्र भी प्रासंगिक था।
हम आपको बताते चलें कि नरेंद्रनगर विधानसभा की नगर पंचायत गजा में गत शनिवार दिन में ग्वाले रोजाना की तरह तमियार रोड के आसपास पशुओं को चुगान के लिए ले गये थे।
सामुहिक तौर पर पशु चुगते हुए गजा से लगभग 1 किमी० आगे बढ़े ही थे कि इस बीच वहाँ झाडियों में घात लगाये बैठे गुलदार ने बलवंत चौहान की बछिया पर हमला बोल दिया।
गुलदार बछिया की गर्दन पकड़ कर घसीटने ही लगा था कि बछिया के रम्भाने की आवाज व ग्वालों के शोर-शराबे के बीच चौक्कनी गाय ने अपनी जान की परवाह किए बगैर गु्लदार से ऐसा लोहा लिया कि इस हड़बड़ाहट में गु्लदार भाग खड़ा हुआ।
गुलदार के खौफ से भले ही अन्य पशु भाग खड़े हुए,मगर बछिया की मां गाय ने गुलदार से अपनी बछिया की जान बचा कर ही दम लिया।
गु्लदार से लोहा लेने में गाय के पैने सींग भी कारगर साबित हुए।इसका अंदाजा तो तब लगा जब गूलदार के हमले से बेकाबू हुई घर पहुंची गाय के सींगों से गाय मालिक ने गु्लदार के बालों का गुच्छा निकाला।
बछिया के गले पर गुलदार के गहरे नाखूनों के निशान हैं।
बलवंतसिंह चौहान घायल बछिया का इलाज गजा पशु चिकित्सा से करवा रहे हैं।अस्पताल से आकर डाक्टर ने बछिया को इंजैक्शन लगाया है।अब बछिया कुछ स्वस्थ्य लग रही है।
यह माँ की ही ममता है,जो मौत के मुंह से अपने बच्चे को सकुशल बचा लाई है।मां के द्वारा अपने बच्चे को बचाए जाने की इस घटना ने साबित कर दिया कि:-*
जाको राखे साइयां,मार सके ना कोय,बाल न बांका कर सके,जो जग बैरी होय।