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नगर के आसपास के दर्जनों गांवों में शोक, हरिद्वार खड़खड़ी घाट पर होगा अंतिम संस्कार
वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर। दो बार नरेंद्रनगर पालिका के अध्यक्ष रहे ,71 वर्षीय वरिष्ठ एडवोकेट सोबन सिंह नेगी के आकस्मिक निधन की खबर सुनकर, ना सिर्फ़ नरेंद्रनगर शहर, बल्कि आसपास के दर्जनों गांवों में शोक की लहर छा गई है। सामाजिक संगठनों से जुडे़ लोगों ने स्व०नेगी के निधन पर गहरा शोक जताया है।
स्वर्गीय एडवोकेट सोबन सिंह नेगी का जन्म चंबा विकासखंड के सौंदकोटी गांव में हुआ था। मगर वे नरेंद्रनगर में पले-बढ़े थे।
उनके पिता स्वर्गीय सूरत सिंह नेगी, यहां नरेंद्रनगर में जनपद मुख्यालय के दौरान,डीएम कार्यालय में तब यहां जुडिशल असिस्टेंट हुआ करते थे। इंटर की शिक्षा दिवंगत सोबन सिंह नेगी ने नरेंद्रनगर इंटर कॉलेज से ही प्राप्त की थी ,मगर उच्च शिक्षा के लिए उन्हें डी०ए०वी० और डीवीएस कॉलेज देहरादून जाना पड़ा था।
मनोविज्ञान से एम ए करने के बाद वर्ष 1977 में उन्होंने डी०ए०वी० देहरादून से लॉ करने के साथ ही, वर्ष 1978 से देहरादून में जाने-माने अधिवक्ता स्वर्गीय ईश मोहन सकलानी के संरक्षण में वकालत प्रारंभ कर दी थी।
मगर देहरादून उन्हें रास नहीं आया तो, उन्होंने अपने बचपन के शहर नरेंद्र नगर में आकर वर्ष 80 से वकालत प्रारंभ कर दी थी। बस इसके बाद सोबन सिंह नेगी वकालत और सामाजिक क्षेत्र में सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते चले गए।
दिवंगत एडवोकेट नेगी का कहना था कि राजनीति में आने की प्रेरणा उन्हें आयरन लेडी कहे जाने वाली स्वर्गीय इंदिरा गांधी से मिलने के बाद मिली थी। कांग्रेस के सिपाही होते हुए उनका कहना था कि वे स्वर्गीय हेमती नंदन बहुगुणा से इतने प्रभावित हुए कि एक बार उनके साथ लोक दल में शामिल हो गए। मगर बहुगुणा की मृत्यु के बाद कांग्रेस में ही आना पड़ा था।
स्वर्गीय नेगी जी बताते थे कि वर्ष 1969 से छात्र जीवन से ही वे कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे। वर्ष 1997 से 2002 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा वर्ष 2003 से 2008 तक उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य व राज्य स्तरीय 20 सूत्री कार्यक्रम कमेटी के सदस्य व राज्य योजना आयोग के सदस्य रहे।
सरल व सौम्य स्वभाव के मृदु भाषी नेगी ऐतिहासिक शहर नरेंद्रनगर के सबसे लोकप्रिय व्यक्तियों में शुमार किए जाते रहे हैं, यही कारण था कि उनके विराट आभा मंडल को सभी सलाम किया करते थे। उनका करिश्माई व्यक्तित्व ही था कि वे शहर के जिस मार्ग से गुजरते थे, उन्हें मिलने वाला हर कोई गर्व महसूस किया करता था। दिवंगत नेगी उन गिने चुने लोगों में शामिल हैं ,जो अपनी मेहनत के दम पर समाज में एक खास पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। आज भी शहर के लोग उन्हें अपने संरक्षक के रूप में माना करते थे।
गैरों के लिए भी अपनों जैसा लगने वाला सोबन सिंह नेगी दो बार वर्ष 1987 से 92 और 1992 से 97 तक नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं। बताते चलें कि बीते काफी समय से वे श्वास अस्थमा रोग से पीड़ित थे। अपने पैतृक आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे पत्नी, दो बेटों और बेटी का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
सोमवार को उनका हरिद्वार स्थित खड़खड़ी घाट पर अंतिम दाह संस्कार किया जाएगा। शिक्षकसंघ के पूर्व पदाधिकारी रहे वाचस्पति रयाल ने बताया कि स्व० नेगी गरीब और असहाय लोगों के मुकदमें नि:शुल्क भी लड़ा करते थे।
नरेंद्रनगर शहर के विकास के लिए उनका योगदान अतुलनीय है। बताया कि वन मंत्री सुबोध उनियाल के भीतर नेतृत्व की क्षमता को देखते हुए उन्होंने उनके हुनर भी निखारा था। जिससे आज उनियाल प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार हैं। स्व० नेगी के निधन पर वन व तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल, पूर्व मंत्री-मंत्री प्रसाद नैथानी, पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत, पूर्व पालिकाध्यक्ष राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार, राजेंद्र सिंह राणा, दुर्गा राणा, राजेंद्र सिंह गुसांई, पूर्व सभासद भरत सिंह राणा, ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र भंडारी, पूर्व ब्लाक प्रमुख वीरेंद्र कंडारी, वाचस्पति रयाल, उपेंद्र थपलियाल, पत्रकार नवनीत उनियाल,विनोद गंगोटी, हिमांशु जोशी, उपेंद्र पुंडीर,सुंदर सिंह रावत, एमपी अंथवाल,पवन ड्यूंडी, मानवेंद्र रागड़, दीपक सिंह आदि ने शोक जताया है।
दरअसल स्व० नेगी का लिवास कुछ-कुछ ऐसा था:-कंधे पर अदालती लेखा-जोखा वाला कागजों से भरा बैग, आंखों पर काले शीशे वाला धूप-छाया का गोल सेफ वाला चश्मा, अक्सर काली पैंट के साथ सफेद कमीज, क्लीन सेवा, सपाट तनाव मुक्त सा चेहरा, फुर्सत के क्षणों में दार्शनिक जैसी सोच वाली मुद्रा, हर नए क्लाइंट से पुरानी परिचित जैसा सरल स्वभाव के अंदाज में बात करने वाला, मुकदमे की फीस अदा करने में असमर्थ गरीब व्यक्ति की पैेरवी भी करने वाला जैसी शख्सियत का नाम-सोबन सिंह नेगी जाना जाता था।
इसी वेशकीमती पूंजी, जिसकी तुलना रूपए-पैसों से नहीं की जा सकती, के बदौलत शहर वासी स्व० नेगी जी के मुरीद हुआ करते थे। अपनी विशिष्ट पहचान के लिए स्वर्गीय सोबन सिंह नेगी क्षेत्र में युगों- युगों तक याद किए जाते रहेंगे।