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- देवी भागवत महापुराण की कथा श्रवण मात्र से ही रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति वहीं आदि भौतिक,दैविक एवं दैहिक कष्टों का निवारण होता है: आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल
- आचार्य द्वारिका प्रसाद गौड़ के मुताबिक सुखदेव द्वारा महाराजा परीक्षित को बतायें गये भक्ति मार्ग,साधन ज्ञान एवं सिद्ध ज्ञान के प्रसंग आने वाली पीढ़ियों के लिए सन्मार्ग पर चलने के प्रेरणा दायक हैं
वाचस्पति रयाल @नरेन्द्रनगर।
पितरों के मोक्ष प्राप्ति एवं जीवन में रिद्धि- सिद्धि के मार्ग को प्रशस्त करने में श्रीमद् भागवत ,देवी महापुराण ज्ञान यज्ञ का परायण अति आवश्यक है। यह व्याख्यान व्यास गद्दी पर विराजमान प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य द्वारिका प्रसाद गौड़ एवं आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने रुद्रप्रयाग जनपद की ग्राम पंचायत कुंडा के ग्राम दानकोट में बर्त्वाल बन्धुओं द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत एवं देवी महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा में प्रवचन करते हुए कहे।
सात दिवसीय इस ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस में आचार्यों एवं कुल पुरोहितों ने व्यास पीठ के निकट स्थापित भद्र पूजा स्थल पर गणेश पूजन, पंच पूजन के साथ पंचकोटी ग्रामों की आराध्या मां चंडिका और तुंगनाथ जी के( बलमा) निशान को शोभा यात्रा के साथ भद्र क्षेत्र में स्थापित किया।
कथा सार बताते हुए आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने देवी भागवत एवं आचार्य द्वारिका प्रसाद गौड़ ने श्रीमद् भागवत की कथाओं को संस्कृत श्लोकों के माध्यम से बड़ी तादाद में मौजूद आस्थावान श्रद्धालुओं को भागवत रसाअमृत का पान कराया।
विद्वान आचार्य गौड़ ने सुखदेव द्वारा महाराजा परीक्षित को बतायें गये भक्ति मार्ग,साधन ज्ञान एवं सिद्ध ज्ञान के प्रसंगों को छूते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ये उदाहरण सन्मार्ग पर चलने के प्रेरणा दायक हैं।
विद्वान प्रवचन कर्ता ने कहा कि श्रीमद् भागवत के पाठ एवं भगवत भक्ति से स्वयंतक मणि जैसे रत्नों की प्राप्ति संभव है,जिसको प्राप्त करने की इच्छा स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने भी की थी। उन्होंने पितरों की शांति ,रोग- शोक, पारिवारिक अशांति के निवारण तथा खुशहाली के लिए भगवान के श्रीमद भागवत स्वरूप कथा प्रवचन रसास्वादन को अचूक बताया।
आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने देवी भागवत महापुराण पर प्रवचन करते हुए कहा कि देवी भागवत महापुराण की कथा श्रवण मात्र से ही रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा आदि भौतिक,दैविक एवं दैहिक कष्टों का निवारण होता है। उन्होंने देवभूमि उत्तराखंड में अवस्थित बूंखाल ,धारी, चंद्रवदनी ,काली माई आदि देवियों की स्तुति सुमधुर गढ़वाली गीतों के गायन से कथा पंडाल में बड़ी तादाद में उपस्थित आस्थावान श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर पंडाल परिसर को भक्ति मय कर डाला।
नित्य प्रति पूजा अनुष्ठान , प्रवचन एवं भंडारे के अलावा ज्ञान-यज्ञ के चौथे दिन श्री कृष्णा जन्मोत्सव छठवें दिन हवन,पंचांग पूजन एवं कथासार तथा सातवें दिन पंचांग पूजा प्रवचन ,यज्ञ पूर्णाहुति, गौदान, श्री संवाद, ब्रह्मभोज एवं पित्र प्रसाद के कार्यक्रम विशेष अनुष्ठानिक कार्यक्रमों में शामिल रहे, जिनमें कुल पुरोहित आशुतोष वशिष्ठ की विशेष मौजूदगी बनी रही।
इस धार्मिक आयोजन के लिए आयोजक परिवार द्वारा कथा स्थल को भव्य रूप से सजाया व संवारा गया था ।
कथा स्थल की विशेषता यह थी कि पंडाल को व्यासपीठ,भद्र, सभा मंडप संगीत क्षेत्र एवं अन्न क्षेत्र में विभाजित किया गया था। इस अवसर पर आयोजक परिवार के कुलदीप सिंह बर्त्वाल, प्रदीप सिंह बर्त्वाल ,परवेंद्र सिंह बर्त्वाल, जेवेन्द्र सिंह बर्त्वाल के अलावा सगे- संबंधी समस्त बर्त्वाल बंधु एवं पड़ोसी गांवों के ग्रामीणों द्वारा भक्ति भाव से श्रीमद् भागवत कथा का रसोपान करने के साथ पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया।
अनुष्ठान की सफल पूर्णाहुति पर आयोजक परिवार ने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से इस ज्ञान यज्ञ से जुड़े सभी सहयोगियों का आभार प्रकट किया गया।
इसके साथ ही 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत एवं देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का ढोल -नगाड़े आदि संगीत यंत्रों की मधुर ध्वनियों के बीच प्रसाद वितरण के साथ समापन हो गया।
धर्मानंद उनियाल राजकीय महाविद्यालय नरेंद्रनगर के शिक्षक व रुद्रप्रयाग के निवासी डा० विक्रम बर्त्वाल के द्वारा उक्त समाचार प्रेस को उपलब्ध कराया गया है।