बमण गांव में आज भी ज़िन्दा है सदियों पुरानी परंपरा  

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  • 2 से10 नवंबर तक बमण गांव में होगा नौरता (मंडाण) का विशाल आयोजन

वाचस्पति रयाल@नरेंद्रनगर। देवभूमि उत्तराखंड अपने खास रीति-रिवाजों के लिए समूचे विश्व में अपनी खास पहचान बनाये हुए है।

हालांकि बदलते वक़्त और परिस्थितियों के चलते पहाङों की पौराणिक परम्परायें आज दम तोड़ती नजर आ रही हैं मगर आज भी कई क्षेत्र और गांव अपनी पौराणिक परम्पराओं को जिंदा रखे हुए हैं, इन्हीं पौराणिक परम्पराओं को आज भी विकासखंड नरेंद्रनगर की पट्टी क्वीली की न्याय पंचायत मण गांव संवर्धित और जिंदा रखने में, कहें कि कामयाबी के शिखर पर है।

इस न्याय पंचायत के साथ गांव के पौराणिक स्थल बमण गांव में हर तीन वर्ष की समाप्ति पर नौ दिनों तक पंडों नृत्य नौरता (मंडाण) का आयोजन सदियों से होता आ रहा है।

बताते चलें कि पिछ्ले 600 वर्षों से चली आ रही यह परम्परा बमण गांव में हर तीन साल की समाप्ति पर नौरता (मंडाण) के साथ अपने कुल/ईस्ट देवी-देवताओं का स्मरण व आह्नान करते हुए ढोल दमाऊ की थाप पर नौरता (मंडाण) लगाया जाता है। जिसमें आयोजन करने वाले गांव के अलावा क्षेत्र के लोग और दिशा ध्याण बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते हैं।

रविवार को पंडित मनोहरी लाल बिजल्वाण जी की अध्यक्षता में नौरता (मंडाण) की बैठक आयोजित की गई। जिसमें नौरता (मंडाण) के आयोजन हेतु संरक्षण मंडल व संचालन समिति का गठन किया गया।

संरक्षक मंडल में:-

पीताम्बर दत्त बिजल्वाण,मनोहरी लाल बिजल्वाण, गोविन्द राम बिजल्वाण, हर्षमणि बिजल्वाण, मूर्ति सिंह रावत, भगवती प्रसाद बिजल्वाण, दर्शन लाल बिजल्वाण आदि शामिल किए गए।

  •    संचालन समिति

संयोजक:- दिनेश बिजल्वाण (प्रधान बमण गांव )

ईश्वरी प्रसाद बिजल्वाण पूर्व (ज्येष्ठ प्रमुख नरेन्द्र नगर)

अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण

सचिव शक्ति प्रसाद बिजल्वाण

कोषाध्यक्ष नरेन्द्र बिजल्वाण

 

व अन्यों को दायित्व सौंपा गया है। कार्यक्रम 2 नवंबर से शुभारंभ होगा, पंचम दिवस 6 नवंबर को ( ध्वज, कुंती माता,पंडों का (आह्नान) अष्टम दिवस 9 नवंबर को तीर्थ स्नान हेतु निसानों का प्रस्थान 10 नवंबर को यज्ञ की समाप्ति होगी।

बैठक में विनोद बिजल्वाण, विजय प्रकाश बिजल्वाण, जितेन्द्र सजवाण,अशोक बिजल्वाण, ईश्वरी बिजल्वाण, राजेन्द्र बिजल्वाण, पूर्ण सिंह राणा, अनिल किशोर बिजल्वाण, युद्धवीर सिंह रावत, संदीप बिजल्वाण, विजेंद्र रावत,महावीर प्रसाद,हुक्म दास, भगतू दास, संजू दास, कृष्ण दास, भवानी दास आदि उपस्थित रहे।

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