त्रिपक्षीय वार्ता में बनी सहमति , ग्रामीणों का आंदोलन समाप्त

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  • सड़क व पैदल मार्ग से ग्रामीणों पर अब नहीं होगी पहले जैसी सख्ताई

वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।
यहां स्थित ऐतिहासिक शहर नरेंद्रनगर के बखरियाणा क्षेत्र में स्थित मिलिट्री कैंप से होकर जाने वाली सड़क व पैदल मार्ग का एक दर्जन से अधिक गांव दशकों-दशकों से उपयोग करते आ रहे हैं।

इन रास्तों को पैतृक रास्ता बताते हुए ग्रामीणों का कहना है कि मिलिट्री ने कभी भी रास्ते को लेकर ग्रामीणों से ना तो टोका-टाकी की और ना ही कभी विवाद पैदा किया। मगर वर्ष 2018-19 से यहां स्थानांतरित होकर आई फौज बटालियन के अधिकारियों ने ग्रामीणों ने की आवा-जाही पर बहुत ही सख्ताई बरतनी शुरू कर दी, सेना द्वारा ग्रामीणों को नाजायज परेशान करने पर कई समस्याएं बढ़ गई।

पिछले पांच वर्षों से अनेकों प्रयासों के बावजूद समस्याओं का हल न निकलने पर, मजबूरन ग्रामीणों को क्रमिक अनशन व धरना/प्रदर्शन के जैसे आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा था। पिछले 5 वर्षों से परेशान ग्रामीणों ने इस बार रास्ते को लेकर आर-पार की लड़ाई ठान ली थी।
9 मार्च से प्रारंभ धरना-प्रदर्शन के आंदोलन को उग्र होते देख, मंगलवार को स्थानीय प्रशासन की मध्यस्थता से तहसील में सेना के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों की उक्त मसले पर लंबी वार्ता हुई। ग्रामीणों की ओर से इस वार्ता की पैरवी क्षेत्र के पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने की थी, जबकि पूर्व ब्लाक प्रमुख वीरेंद्र कंडारी ने भी ग्रामीणों की समस्याओं को तत्काल सुलझाने की बात की थी।

बताते चलें कि उग्र आंदोलन कर रहे ग्रामीणों ने समस्या का हल न होने पर आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार की घोषणा की थी। मंगलवार को तय कार्यक्रम के मुताबिक बुधवार को ग्रामीणों के साथ संयुक्त रूप से रास्ता वाले क्षेत्र का सर्वे व मौका-मुआयना किया गया।
तमाम परिस्थितियों को देखने व समझने के बाद तहसील प्रशासन, ग्रामीण प्रतिनिधि मंडल तथा सेना के उच्च अधिकारियों से वार्ता के बाद, तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल ने धरना स्थल पर बैठे ग्रामीणों को संबोधित करते हुए समुचित समझौते की जानकारी दी, इसके बाद आंदोलनरत ग्रामीणों ने अपना धरना/प्रदर्शन समाप्त कर दिया।

ग्रामीणों द्वारा आंदोलन समाप्ति के साथ ही स्थानीय प्रशासन ने राहत की सांस ली। ग्रामीणों के आम रास्ते को आर्मी द्वारा वक्त-बेवक्त रोके जाने तथा नाजायज ग्रामीणों को परेशान किए जाने से सेना का ग्रामीणों के साथ टकराव सा बढ़ गया था।
तमाम विकट परिस्थितियों को देखते हुए ही ग्रामीण धरने पर बैठे थे।

लेकिन आज पांचवे दिन तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल ने ग्रामीणो के बीच पहुंचकर आंदोलन ‌ को समाप्त करवाया। तहसीलदार ने कहा कि उप जिलाधिकारी देवेंद्र सिंह नेगी के द्वारा आर्मी के‌ उच्च अधिकारियों से समझौता हुआ है कि गांव जाने वाले मार्ग पर ‌ अनावश्यक किसी को परेशान नहीं किया जाएगा। प्रशासन द्वारा आर्मी के बने दोनों चेकिंग गेट पर चार-चार हेलमेट रख दिए, गए हैं। जिसका प्रयोग ग्रामीण भविष्य में सेना कैंप से होकर आवागमन करते वक्त करेंगे।साथ ही कहा कि शराब या अन्य नशे में कोई भी व्यक्ति आर्मी सीमा के अंदर प्रवेश नहीं कर पाएगा। आर्मी सीमा में आवागमन करने वाले सभी व्यक्ति अपने पास आईडी अवश्य रखें ‌।आपातकालीन समय में ग्रामीण एवं आर्मी जवान ‌ आपसी सामंजस्य बनाकर कार्य करेंगे।

उप जिलाधिकारी के निर्देश पर तहसीलदार अयोध्या उनियाल , सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग साहब सिंह सैनी, अवर अभियंता संजय कठैत ,‌ पटवारी पवन कुमार, गोपाल पुंडीर ने ‌ ग्रामीणों के साथ मिलकर आर्मी गेट से पहले ‌भविष्य में अलग से अन्य रोड का भौतिक सर्वे किया तथा लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर को यथाशीघ्र उक्त रोड का सर्वे ‌ करने के निर्देश दिए। ‌ प्रशासन से वार्ता के पश्चात ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिला ।

इस मौके पर आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे आंदोलन के संयोजक सूरत सिंह आर्य,वन सरपंच विक्रम सिंह कैतुरा, ‌ नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र राणा, रोहन पुंडीर,अरुण पुंडीर, जगमोहन, बलवंत, शीशपाल पुंडीर, मनवीर, विक्रम पुंडीर,जोत सिंह, सेवक राम, दिनेश कुमार,सोनू ,राजेश,अनिल विक्की, आदि बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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