नसोगी दोगी के 13 वर्षीय आदित्य ने रच डाला इतिहास,RIMC में चयन होने पर देश-प्रदेश का बढ़ाया गौरव

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  • गांव व क्षेत्र में खुशी की लहर, बधाइयों का सिलसिला जारी

वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।
पहाड़ की पर्वत शिखरों अथवा गहरी घाटियों में बसे गांवों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ उन्हें अच्छी शिक्षा व संस्कार देकर संवारने व तरासने की। इस सच्चाई से भी कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि,माता-पिता की भूमिका बच्चों के भविष्य निर्माण में मील का पत्थर साबित हुआ करती है। इससे भी बड़ी बात यह है कि यदि परिवार शिक्षा व देश की रक्षा से जुड़े होने के साथ-साथ संज्ञानात्मक, सामाजिक, सांस्कृतिक,शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास में सक्रियता से बच्चे का मार्गदर्शन करते रहें तो निश्चित ही होनहार बच्चा छोटी सी ही उम्र से सफलताओं की सीढ़ियां चढ़ता चला जाता है।

ऐसा ही बहुत कुछ सीखने व करने का जज्बा नजर आ रहा है, पट्टी दोगी के नसोगी गांव के निवासी आदित्य रयाल में।
बताते चलें कि कक्षा 8 में अध्यनरत डीएसबी कालेज का 13 वर्षीय छात्र आदित्य रयाल को  राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) में प्रवेश मिलने पर जहां  परिजनों में खुशी है, वहीं उनके मूल गांव नसोगी के अलावा मुंडाला, बडीर, लोयल व समूची पट्टी दोगी क्षेत्र सहित श्यामपुर क्षेत्र से मिल रही लोगों की बधाइयों ने आदित्य व उसके परिवार जनों की खुशियों को कई गुना बढ़ा दिया है। आदित्य का परिवार शिक्षा व रक्षा से जुड़ा हुआ है। दादा राम प्रसाद रयाल एक नामी- गिरामी शिक्षक रहे हैं। वे कुछ ही वर्ष पहले जू०हा०स्कूल के प्रधान अध्यापक पद से सेवानिवृत हुए हैं। बच्चों को जिस लगन,निष्ठा व कर्तव्य भावना से रामप्रसाद पठन-पाठन कराते रहे थे, उसके लिए लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। जबकि दादी श्रीमती डुग्गी देवी आदर्श गृहणी हैं।

वहीं आदित्य के पिता मनोहरी लाल जिन्हें गांव में सोहनलाल के नाम से ज्यादा जाना-पहचाना जाता है,भारतीय फौज में जम्मू कश्मीर में इंटेलिजेंस व्यूरो हैं, जबकि माता श्रीमती अंजना रयाल शिवालिक भागीरथी स्कूल श्यामपुर में शिक्षिका हैं, मनोहरी लाल का छोटा बेटा अबीर अभी 5 वर्ष का है। आदित्य का परिवार इन दिनों श्यामपुर में ही निवास करता है।

  • एक सीट है राज्य कोटे में

दरअसल में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन इस कॉलेज में हर राज्य का प्रवेश कोटा निर्धारित होता है।आदित्य रयाल का चयन,के पीछे बड़ी खुशी की बात, यह भी है कि, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज में समूचे देश से सिर्फ 30 छात्र-छात्राओं का चयन प्रवेश के लिए हुआ करता है, जिसमें 25 छात्र व 5 छात्रायें शामिल होती हैं। उत्तराखंड प्रदेश से सिर्फ एक सीट का कोटा निर्धारित था। लिहाजा इस सीट पर समूचे प्रदेश से आदित्य रयाल का चयन किया जाना, हर किसी को गौरव की अनुभूति करा दे रहा है। इसीलिए हर कोई आदित्य की मेहनत और लगन को सलाम कर रहा है।

  • 7 मार्च को देहरादून के RIMC में लेंगे प्रवेश

आदित्य आगामी 7 मार्च को राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज देहरादून में प्रवेश लेकर आगे की पढ़ाई शुरू करेंगे। राष्ट्रीय स्तर की इस प्रवेश परीक्षा में 13 वर्ष तक की आयु के छात्र ही 8 वीं कक्षा में प्रवेश ले सकते हैं। भारत के इस सैन्य संस्थान में प्रतिष्ठित सम्मान शिक्षा,अनुशासन, समृद्ध सैन्य इतिहास, कर्तव्य निष्ठा, देश के प्रति अटूट आस्था, चरित्र निर्माण,देशभक्ति की मजबूत भावना के साथ एक पूर्ण व्यक्तित्व व भविष्य के सशस्त्र बल के बड़े अधिकारी के रूप में ऐसे बच्चों को तैयार करना होता है।

  • सेना में अफसर बनने की राह पर निकले आदित्य

आदित्य रयाल का भारतीय सेना में बड़े अधिकारी बनकर देश सेवा व रक्षा करने का सपना तो अब रफ्तार पकड़ चुका है।जो कुछ ही बरसों में साकार होता दिखाई देगा। डीएसबी के छात्र आदित्य रयाल ने आरआईएमसी की तैयारी श्यामपुर स्थित कंपटीशन क्लासेस इंस्टिट्यूट से की थी। आदित्य ने बौद्धिक ज्ञान व व्यक्तित्व परीक्षण के साक्षात्कार में अपने हुनर का बेहतरीन प्रदर्शन कर जीवन की उच्च लक्ष्य की प्राप्ति की ओर मजबूत कदम बढ़ाया है।

  • लहरों से डर कर कभी…………..

आदित्य के दादा राम प्रसाद व माता अंजना का कहना है कि आदित्य को पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ, भारतीय फौज का हिस्सा बनकर देश सेवा करने की चाहत थी। उसका यही सपना और चाहत ने उसे इस मुकाम तक पहुंचा दिया है। मेहनत करेगा तो सफलता उसके कदमों पर होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह कामयाबी के शिखर तक पहुंचेगा।
इसीलिए तो कहते हैं :-लहरों से डर कर कभी नैया; पार नहीं होती, मेहनत करने वालों की,कभी हार नहीं होती
आदित्य रयाल की मेहनत ऐसा रंग लाई है कि लोग ना सिर्फ उसके जज्बे को सलाम कर रहे हैं, बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए उसे बच्चों का प्रेरणा स्त्रोत भी मानने लगे हैं। गांव नसोगी, श्यामपुर व क्षेत्रवासी उसके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे हैं।

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