खेतवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के पेटी ठेकेदारों पर धनराशि हड़पने का लगायाआरोप

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  • पीड़ित ठेकेदारों ने रुकवाया सड़क अपग्रेडेशन का कार्य
  • घटिया निर्माण के चलते अधिकारियों ने तुड़वा डाले निर्माणाधीन पुश्ते

वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।
निर्माण कार्यों में सरकारी धन को कैसे ठिकाना लगाया जाता है और बड़े रसूखदार व ऊंची पहुंच रखने वाले नामी-गिरामी ठेकेदार, नाम मात्र के छोटे ठेकेदारों से काम करवा कर, उन्हें कैसे फर्जी चेकों को थमा कर धोखा दे डालते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण नरेंद्रनगर विकासखंड की पट्टी धमान्दस्यूं के हिंडोलाखाल-देवल धार व कुरीखाल मोटर मार्ग पर देखने को मिला है, जहां  एक  कंस्ट्रक्शन कंपनी  को  मोटर मार्ग अपग्रेडेशन कार्य  करवाने को मिले  टेण्डर  को पेटी -दर -पेटी ठेकेदारों के हवाले कर  दिया गया। 

बताते चलें कि भारत सरकार के ग्रामीण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित परियोजना के तहत 10 किलोमीटर लंबाई के उक्त मोटर मार्ग के अपग्रेडेशन कार्यों के लिये,वर्ष 2020 में 7 करोड़ 33 लाख 30 हजार की धनराशि स्वीकृत की गई थी।
उक्त सड़क निर्माण की कार्यदाई संस्था पीएमजीएसवाई द्वारा हिंडोलाखाल में लगाए गए बोर्ड के मुताबिक सड़क अपग्रेडेशन का कार्य 17 अप्रैल 2020 से शुरू हो कर,16 जनवरी 2021 को समाप्त किया जाना था।

मगर हैरत की बात ये है कि काम का टेंडर ले चुकी खेतवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के पेटी ठेकेदार विवेक बद्री व गंभीर सिंह महर ने सड़क अपग्रेडेशन के कार्यों:- मसलन पहाड़ कटान, पक्की दीवार, ड्राईवाल, काजवे, पक्की व कच्ची नाली, डब्ल्यू बीएम ग्रेडिंग व पैराफिट आदि कार्यों का काम लगभग 2 दर्जन स्थानीय छोटे ठेकेदारों को सबलेट कर  दिया, और कार्य को बीच में छोड़कर नौ दो ग्यारह हो गए।

इधर छोटे ठेकेदारों  का कहना है कि  काम करने के उपरान्त उन्होंने जब उक्त  पेटी ठेकेदारों से   बकाया राशि देने की मांग  की तो  वे  भुगतान का  झूठा आश्वासन देते रहे।  पीड़ित ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि पेटी ठेकेदारों द्वारा उन्हें फर्जी चेक देकर धोखे में रखा गया।
पीड़ित स्थानीय ठेकेदारों का कहना है कि  वे सड़क अपग्रेडेशन  कार्यों में  बाधा नहीं बनना चाहते। मगर पहले उनकी बकाया धनराशि का भुगतान किया जाए।

उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि  यदि उनकी बकाया धनराशि का भुगतान नहीं होगा, तो वे सड़क पर काम नहीं होने देंगे। कहा खेतवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी,पेटी ठेकेदारों,कार्यदाई संस्था पीएमजीएसवाई तथा स्थानीय प्रशासन को 10 दिन पूर्व शिकायती पत्र देकर, पीड़ितों ने स्पष्ट कर दिया था, मगर अफसोश है कि अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वे सड़क के कार्य स्थल पर पहुंचे, मगर किसी ने भी मामले को सुलझाने का प्रयत्न नहीं किया। 

 पीड़ित ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि 2 साल पूर्व काम छोड़कर फरार,कंपनी को बगैर टेंडर के फिर से काम कैसे दे दिया गया। और यदि दिया गया तो उनकी बकाया धनराशि क्यों नहीं भुगतान की गई? बकाया धनराशि भुगतान किए बिना,इस तरह की प्रक्रिया को पीड़ित ठेकेदारों ने अपने विरुद्ध षड्यंत्र बताया।

  • मौजूदा कार्यों में गुणवत्ता का अभाव

पीड़ित ठेकेदारों ने मौजूदा वक्त में हो रहे अपग्रेडेशन कार्य ‌को सरकारी धन का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि, मौजूदा वक्त में लगे पुश्तों की जांच की जाए। मानकों को ताक पर रखकर, किए जा रहे कार्यों को मौके पर देख अधिकारियों के भी होश उड़ गए। पक्की दीवारों के नाम पर लगाए जा रहे कच्चे पुश्तों को अधिकारियों ने अपने सामने तुड़वा दिया।

बहरहाल सड़क पर अपग्रेडेशन का कार्य रुका पड़ा है, पीड़ित छोटे ठेकेदारों का कहना है कि, जब तक उनके द्वारा किए, कार्यों का पूरा पेमेंट नहीं हो जाता वे सड़क पर काम नहीं होने देंगे। चाहे कितना ही उग्र आंदोलन क्यों न करना पड़े।
इस मौके पर पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता मधुसूदन बलूनी, सहायक अभियंता शशि भूषण वर्मा व अवर अभियंता जगदीश जोशी मौजूद थे।

अधिशासी अभियंता मधुसूदन बलूनी ने इस दौरान मामले को सुलझाने के लिए खेतवाल कंपनी के जवाबदेह व्यक्ति से मोबाइल पर भले ही लम्बी वार्ता की, मगर मामले का हल बहरहाल नहीं निकल पाया।
मौके पर ठेकेदारों में संदीप नेगी, अजय धमांदा, महेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह नेगी,अबल सिंह नेगी, विजय धमांदा, सतबीर सिंह, रघुवीर सिंह, मोहम्मद इस्लाम,वीर सिंह धमांदा व उत्तम सिंह पुंडीर सहित एक दर्जन से अधिक ठेकेदार मौजूद थे।

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