उत्तराखंड ज्ञान,विज्ञान, विवेकवान व शौर्य की माटी : राष्ट्रपति

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  • महामहिम राष्ट्रपति ने 59 गोल्ड मेडलिस्टों को पदक, 1182 स्नातकोत्तर डिग्रियाँ और 98 पीएचडी की डिग्रियाँ प्रदान की
  • दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी रहे मौजूद

वाचस्पति रयाल @ नरेन्द्रनगर। देश की महामहिम राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (श्रीनगर) के 11वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग  किया, इस मौेके पर  उनके द्वारा कुल 59  गोल्ड मेडलिस्ट दीक्षार्थियों को पदक प्रदान किए। राष्ट्रपति ने उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले सभी दीक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनको राष्ट्र निर्माण और समाज निर्माण में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना है।

उन्होंने सभी विद्यार्थियों और संस्थान से प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष जुड़े हुए शिक्षकों से अपेक्षा की कि वे शिक्षा को समाज से जोड़ने का काम करें, जिससे समाज के अंतिम छोर पर बैठा व्यक्ति भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके।
दीक्षार्थियों को उपाधि प्रदान करते समय महामहिम राष्ट्रपति ने सभी दीक्षार्थियों को 3 प्रतिज्ञाएं दिलाई।
महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने देवभूमि उत्तराखंड को ज्ञान, विज्ञान, विवेकवान व शौर्य की माटी बताते हुए कहा कि यहां महान विभूतियों व ने जन्म लिया है, जो देश/विदेश के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।

उन्होंने सृष्टि लखेड़ा द्वारा निर्मित एक था गांव डॉक्युमेंट्री को नेशनल सिनेमा अवार्ड प्राप्त करने की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में भी यहां की अनेक विभूतियों ने हिंदी साहित्य को गौरवान्वित किया है। जिसमें सुमित्रानंदन पंत, मंगेश डबराल, शिवानी, भक्तदर्शन आदि लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

राष्ट्रपति ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा में भी उत्तराखंड के योगदान की सराहना की।
उन्होंने उत्तराखंड की पर्यावरणीय सेवा और यहां के स्वच्छ जल स्रोत सहित वनस्पतियों को जीवन प्रदान करने वाला बताया।
महामहिम राष्ट्रपति ने प्रदेश सरकार द्वारा रोजगार और स्वरोजगार के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ,दीक्षांत पढ़ाई का अंत नहीं है, बल्कि सतत शैक्षणिक जीवन की यात्रा का एक पड़ाव है, उमंग, उत्साह और ऊर्जा के साथ लक्ष्य महान होना चाहिए।

राज्यपाल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप ऐसे समय में समाज में अपना योगदान देने जा रहे हैं ,जब हम आजादी के अमृत काल में विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्वगुरु भारत बनने के महान संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का है, जिसको मेहनत के दम पर हासिल करना है।

विश्वविद्यालय के निर्माण में स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीनगर की यह धरती एक ऐतिहासिक धरती रही है। यहाँ देवताओं के पवित्र मंदिर है, वीरों की महान गाथाएँ हैं तो साथ ही वर्तमान सदी में यह नगर विद्युत परियोजनाओं के एक बड़े केंद्र होने के साथ-साथ एनआईटी और अर्द्ध सैनिक बलों के प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र भी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह और विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में ज्ञान की अविरल गंगा को प्रवाहित करने वाले इस संस्थान में उपस्थित होकर वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने हिमालय पुत्र स्व०हेमवती नंदन बहुगुणा का स्मरण करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय उनकी विकासवादी सोच का परिणाम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष दीक्षांत समारोह की थीम ’’सशक्त महिला, समृद्ध भारत’’ रखी गई है। जिसका स्पष्ट उदाहरण आज इस दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उसके जीते-जागते उदाहरण हैं। उनका जीवन, शुरुआती संघर्ष, समृद्ध सेवा और अनुकरणीय सफलता, सचमुच प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करने वाला है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति की जीवटता और समर्पण शक्ति को नमन करते हुए कहा कि, वे सही अर्थों में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं।

मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि सबके सहयोग से उत्तराखण्ड हर क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।
इस दौरान दीक्षांत समारोह में विधायक देवप्रयाग विनोद कंडारी व विधायक पौड़ी राजकुमार पोरी, कुलाधिपति गढ़वाल विश्वविद्यालय डॉ०योगेंद्र नारायण, कुलपति प्रो०अन्नपूर्णा नौटियाल, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर सहित उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षार्थी, उनके अभिभावक, हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के शिक्षक गण तथा जनमानस उपस्थित थे।

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