बगीचे के घास में लगी आग की लपटों में, सैकड़ों फलदार पौधे जलकर राख

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  • डीएम को पत्र भेजकर की जांच व मुआवजे की मांग

वाचस्पति रयाल@नरेंद्रनगर।

गर्मी का सीजन शुरू हो अथवा बरसात , पहाड़ में दस्तक देते ही ये दोनों सीजन कहर बरपा देते हैं। पहाड़ों में बरसात कहर बनकर टूटा करती है, तो गर्मी में घूं-घूं जलते जंगलों की शामत आ जाती है। ताज़ा मामला नरेंद्रनगर ब्लॉक की पट्टी पालकोट के ग्राम पंचायत कोठी का है।
बताते चलें कि ग्राम कोठी के निवासी डॉ० रमेश चंद्र शर्मा ने तैला नामक स्थान के झुकना खेत में 15 नाली जमीन में फलदार व औषधीय पौधों का बगीचा लगाया हुआ था।

भारत सरकार के केंद्रीय सचिवालय में निदेशक से लेकर विभिन्न पदों पर रहे, डॉ रमेश चंद्र शर्मा ने सेवानिवृत्ति के बाद रिवर्स पलायन की सोच को लेकर गांव क्षेत्र में विभिन्न फलदार पौधों का बहुत बड़ा बागीचा तैयार करने की मन में ठानी थी, और इसके लिए उन्होंने वर्ष 2020 से धरातल पर काम करना शुरू भी कर दिया था ,वे क्षेत्र में यह नजीर पेश करना चाहते थे कि योजना बद्ध तरीके से यदि धरातल पर काम किया जाए, तो स्वरोजगार को अपनाकर, पहाड़ों में पलायन को काफी हद रोका जा सकता है।

मगर उनके इस सपने को उस वक्त बहुत बड़ा आघात लगा, जब गर्मी की शुरुआत के इस मौसम में गांव पहुंचकर वे बगीचे में लगे 300 से अधिक फलदार व औषधीय पौधों को खाद पानी देकर, 15 अप्रैल को मत का प्रयोग करने दिल्ली पहुंचे ही थे, के पीछे से दूरभाष पर ग्रामीणों ने उन्हें, बगीचे में खड़ी घास पर आग लगने व बगीचे में लगी आग की लपटों में बड़ी संख्या में पौधे जलकर खाक होने व झुलसने की सूचना दी।
डॉ रमेश चंद्र शर्मा ने सूचना पाते ही जिलाधिकारी टिहरी मयूर दीक्षित को पत्र भेजकर उल्लेख किया कि गजा-देवप्रयाग मार्ग पर पड़ती उनकी ग्राम पंचायत कोठी के तैला के पास सुनका खेत नामे तोंक में उनका 15 नाली में लगाया गया विभिन्न फलदार प्रजाति के बगीचे में आग लगने से सारे पौधे जलकर खाक हो गए हैं। जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने डीएम से अपील की है कि क्षेत्रीय पटवारी को स्थलीय निरीक्षण के लिए भेजकर रिपोर्ट ली जाए।

कहा कि बीती 15 अप्रैल को वह दिल्ली में मतदान करने के अलावा किसी और काम से गए थे। लेकिन 18 अप्रैल को उनके बगीचे में आग लगने की सूचना मिली। कहा कि वह केंद्रीय सचिवालय से सेवानिवृत्त होकर गांव आए और जुलाई 2020 में उद्यान विभाग से स्वयं के खर्च पर करीब साढ़े 26 हजार रूपये की धनराशि से आम, अमरूद, लीची, नींबू, कटहल, आंवला आदि के 300 से अधिक पौधे लगाए थे।
इन सभी पौधों के लिए उन्हें गड्ढों से लेकर पानी का टैंक बनाने व खाद,ढुलान आदि पर 2 लाख 90 हजार की धनराशि खर्च की गई थी।
लेकिन जैसे पौधे बढ़ने लगे तभी नवंबर 2020 में और अब 18 अप्रैल 2024 को भी अज्ञात कारणों से दो बार लगी आग से सारे पौधे जल कर खाक हो गये।

कहा कि उन्होंने दोबारा से ग्रामीणों को उद्यान के क्षेत्र में प्रेरित करने के मक़सद फिर से पौधे क्रय कर वहां लगाए। उनकी सिंचाई के लिए टैंक भी बनाया। बावजूद इसके फिर से 18 अप्रैल को अज्ञात कारणों से बगीचे में आग लगने से सारे पौधे खत्म हो गए हैं।
डॉ रमेश चंद्र शर्मा ने मांग की है ,कि इस घटना की राजस्व और वन विभाग स्तर पर जांच की जाए। साथ ही उन्हें मुआवजा भी दिया जाए ताकि वह फिर से बगीचे में पौधे लगा सकें।

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