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वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।
भारतीय सेना की शौर्य गाथा की तूती समूचे विश्व में गूंजती है। यह सब कुछ भारतीय सेना ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में अपना पराक्रम दिखाते हुए, अपना लोहा मनवाया था।
उक्त बात महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ शशि बाला वर्मा ने महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आयोजित विजय दिवस पर देश के वीर सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए, अपने संबोधन में कही।
प्राचार्य ने कहा कि देश रक्षा में सैनिकों का बलिदान कभी बुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए हर वक्त किस तरह से तैयार रहना है, ये प्रेरणा देश रक्षा में तैनात जवानों से मिला करती है।
इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा महाविद्यालय परिसर व आसपास के इलाके में साफ- सफाई अभियान चलाया गया, इसके अलावा महाविद्यालय परिसर में लगे फूलों की गुडाई-निराई कर पानी व खाद दी गई।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती सरिता देवी ने स्वयंसेवियों को विजय दिवस के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1971 को 16 दिसंबर को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक कर, 93 हजार पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। कहा कि भारतीय वीर सैनिकों की अमर गाथाएं देश व युवाओं के लिए प्रेरणा हुआ करती हैं।
इस मौके पर डॉ0 राम भरोसे द्वारा भी स्वयंसेवियों को विजय दिवस के बारे में बताया गया ।
कार्यक्रम में डॉ0 वंदना सेमवाल, डॉ0 मुकेश सेमवाल, डॉ0 विवेकानंद भट्ट, श्रीमती रचना राणा, श्रीमती रेखा नेगी, अंकित कुमार, अमिता, नरेंद्र बिजल्वाण, नरेश रावत, श्रीमती सुनीता व मूर्ति लाल आदि उपस्थित थे।