शिक्षक प्रकाश ड्यूंडी की मेहनत ने शिक्षालय को बना डाला ज्ञान का प्रकाश पुंज

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वाचस्पति रयाल@नरेन्द्रनगर।

मजबूत इरादे, दृढ़ इच्छा शक्ति व ऊंचे हौसलों के साथ, यदि अपने कार्य क्षेत्र में व्यक्ति आगे बढ़ने की ठान ले, तो लाख बाधाओं के बीच भी, ऐसे जुनून वाले व्यक्ति को लक्ष्य हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता।

ऐसे ही ऊंचे हौसलों से लवरेज अपने काम के प्रति समर्पित एक शिक्षक की चर्चा इन दिनों, पट्टी -कुंजणी की हेंवल घाटी के खेत- खलियान से लेकर पूरे क्षेत्र में घर-घर तक हर किसी की जुवां पर सुनी जा सकती है, और इस शिक्षक का नाम है- प्रकाश चंद्र ड्यूंडी।

दरअसल में प्रकाश चंद्र ड्यूंडी पिछले 16 वर्षों से विकासखंड नरेंद्रनगर की पट्टी कुंजणी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय अटाली में कार्यरत हैं।
गौर तलब तो यह है कि कक्षा 1से 5 तक की पढ़ाई का पूरा जिम्मा अकेले संभाले हुए शिक्षक प्रकाश चंद्र ड्यूंडी ने विकट परिस्थितियों में चुनौतियों को स्वीकारते हुए, कुछ अच्छा करने के जुनून के साथ,अपने काम के दम पर विद्यालय को ज्ञान के प्रकाश पुंज में ऐसा तब्दील करके दिखा दिया, जो आज औरों के लिए प्रेरणा बन गया है।

शिक्षक प्रकाश चंद्र विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण व विद्यालय के पठन-पाठन से लेकर, रख-रखाव व सौंदर्य करण जैसे कार्यों को धरातल पर उतारने को निरंतर कृतसंकल्प दिखाई देते हैं, उनके इस काम की वानगी आंखों के सामने उस वक्त प्रतिबिंबित हो जाती है, जब कोई विद्यालय के परिसर में प्रवेश करते हुए पांव आगे बढ़ा देता है।

दरअसल शिक्षक प्रकाश चंद्र ड्यूंडी इस विद्यालय में पिछले 16 वर्षों से पठन-पाठन के प्रति समर्पित हैं, वहीं उन्होंने विद्यालय भवन सहित विद्यालय परिसर का बेहतरीन सौंदर्य करण, निजी खर्चे पर करते हुए एक शानदार मिसाल औरों के लिए भी पेश की है।
विद्यालय में आकर्षक वाटिका, बेहतरीन किचन गार्डन, विभिन्न प्रजातियों के पुष्प पल्लवित पौधे जहां खुशबू बिखेर रहे हैं, वहीं कीचन गार्डन में उगी सब्जियां व तरह-तरह के बेल मन को मोहते हुए ,वातावरण को सुशोभित कर रही हैं, और हर किसी के मन व चित्त को संतोष का सुकून दे रही हैं।

शिक्षक प्रकाश चंद्र ड्यूंडी द्वारा विद्यालय भवन की दीवारों पर उकेरी गयी तस्वीरों व नशा मुक्ति, शिक्षा युक्ति, महिला शक्ति तथा शत प्रतिशत मतदान करने के प्रति, प्रेरित करने वाले जैसे कलात्मक तरीकों से विद्यालय में लिखे गए स्लोगनों पर पड़ती निगाहें,बरबस एक बारगी जहां की तहां, ना सिर्फ़ ठहर सी जाती हैं, बल्कि दिल को सुकून व मन में कुछ करने की भावना जागृत कर देती हैं।

काम के प्रति लगन, निष्ठा रखने वाले संघर्षशील व व्यवहार कुशल शिक्षक की कर्तव्य परायणता को देखते हुए क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता शिवराज सिंह मियां, राजवीर सिंह भंडारी, शीशपाल, अनिल भंडारी तथा राजवीर ने ऐसे कर्तव्य निष्ठ शिक्षक ड्यूंडी को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग शिक्षा विभाग के अधिकारियों से की है।

नि:संदेह ऐसे ही उत्कृष्ट शिक्षकों के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक चाणक्य ने कहा था:-
कसौटी पर परिपूर्ण शिक्षक कभी साधारण नहीं होता-निर्माण और प्रलय दोनों उसी की गोद में पलते हैं।

एक शिक्षक का सर्वोत्तम गुण-राष्ट्रभक्ति व राष्ट्र प्रेम के बगैर, राष्ट्र निर्माण की उत्तम शिक्षा नहीं दी जा सकती।

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